Tuesday, January 31, 2017

You are special. Don't ever forget it

Value

A popular speaker started off a seminar by holding up a Rs2000 note. A crowd of 200 had gathered to hear him speak. He asked, “Who would like this Rs2000 note ?”


200 hands went up.

He said, “I am going to give this  Rs2000 note to one of you but first, let me do this.” He crumpled the bill up.

He then asked, “Who still wants it?”

All 200 hands were still raised.

“Well,” he replied, “What if I do this?” Then he dropped the bill on the ground and stomped on it with his shoes.

He picked it up, and showed it to the crowd. The bill was all crumpled and dirty.

“Now who still wants it?”

All the hands still went up.




“My friends, I have just showed you a very important lesson. No matter what I did to the money, you still wanted it because it did not decrease in value. It was still worth Rs2000. Many times in our lives, life crumples us and grinds us into the dirt. We make bad decisions or deal with poor circumstances. We feel worthless. But no matter what has happened or what will happen, you will never lose your value. You are special – Don’t ever forget it!

Wednesday, January 25, 2017

भारतीय गणतंत्र के सम्‍मान में तिरंगे के रंग में रंगेगा बुर्ज खलीफा

भारतीय गणतंत्र के सम्‍मान में तिरंगे के रंग में रंगेगा बुर्ज खलीफा भी
भारत के गणतंत्र दिवस को मिलेगी दुबई के बुर्ज खलीफा की भी सलामी। 25 जनवरी से 26 जनवरी तक तिरंगे के रंग में रंगा नजर आएगा बुर्ज खलीफा।
Source: one india
दुबई। दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक बुर्ज खलीफा भी भारत के गणतंत्र दिवस का जश्‍न मना रही है। बुर्ज खलीफा के ट्विटर हैंडल से जानकारी दी गई है कि भारत के 68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर बुर्ज खलीफा तिरंगे के रंग में रंगा हुआ नजर आएगा।


25 और 26 जनवरी को होगा जश्‍न
25 जनवरी और 26 जनवरी की शाम को बुर्ज खलीफा पर तिरंगे के रंग में एलईडी लाइट्स की रोशनी होगी। इसके अलावा दोनों दिन शाम 6:15, 7:15 और फिर 8:15 बजे दुबई फांउटेन शो होगा। बुर्ज खलीफा को वर्ष 2014 में दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का दर्जा दिया गया था। इसकी ऊंचाई 829.8 मीटर है। इस बिल्डिंग में सबसे तेज और लंबी लिफ्ट के अलावा सबसे ऊंची मस्जिद, सबसे ऊंचा स्विमिंग पूल और सबसे ऊंचा रेस्‍टोरेंट मौजूद है। इस बिल्डिंग में 163 फ्लोर हैं। इस बिल्डिंग को बनाने में करीब छह वर्ष का समय लगा और आठ बिलियन डॉलर खर्च हुए हैं। 21 सितंबर 2004 को इसका निर्माण शुरू हुआ था। चार जनवरी 2010 को यह खत्‍म हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके निर्माण में 1,10,000 टन से ज्‍यादा कंक्रीट और 55,000 टन से ज्‍यादा स्‍टील का प्रयोग हुआ है।
पहले इसका नाम था बुर्ज खलीफा
जिस समय इसका निर्माण शुरू हुआ इसका नाम बुर्ज दुबई रखा गया। यूएई के राष्‍ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के सम्‍मान में इसका नाम बदलकर बुर्ज खलीफा कर दिया गया। उन्‍होंने इसके निर्माण में वित्‍तीय मदद दी थी।

गुजरात का किंग कहलाता था असली 'रईस' गैंगस्टर लतीफ

गुजरात का किंग कहलाता था असली 'रईस' गैंगस्टर लतीफ

Source :aajtak


मुंबई में अक्सर अंडरवर्ल्ड का बोलाबाला रहा है कि लेकिन दूसरे शहर भी जुर्म के साए से बचकर नहीं रहे. ऐसा ही एक शहर है गुजरात का अहमदाबाद. कहने को तो यह शहर बहुत संपन्न है लेकिन अंडरवर्ल्ड से जुड़े गैंगस्टर इस शहर पर भी राज करते आए हैं. उन्ही में से एक पुराना नाम आज कल सुर्खियों में छाया हुआ है. क्योंकि उस गैंगस्टर की जिंदगी पर ही आधारित है सुपरस्टार शाहरुख खान की अगली फिल्म 'रईस'. और अहमदाबाद के उस डॉन का नाम था अब्दुल लतीफ. उसे गुजरात का किंग भी कहा जाता था.

कौन था अब्दुल लतीफ
अब्दुल लतीफ अहमदाबाद के दरियापुर इलाके में रहा करता था. उसका जन्म वहीं हुआ था. परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. परिवार बड़ा था लिहाजा घर के सभी लोग काम किया करते थे. मुश्किल हालात और आर्थिक कमजोरी ने अब्दुल लतीफ को ज्यादा पढ़ने का मौका नहीं दिया. छोटी उम्र में ही अब्दुल को दो जून की रोटी के लिए काम करना पड़ा. और कच्ची उम्र में ही वो एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ा जो मौत के पास जाकर खत्म होता था.



जुर्म की दुनिया में पहला कदम
छोटी सी उम्र में ही अब्दुल लतीफ काम करने लगा था. 80 के दशक में उसने कालूपुर ओवरब्रिज के पास देशी शराब बेचने की शुरुआत कर दी. बस यहीं से उसने जरायम की दुनिया में पहला कदम रखा था. धीरे-धीरे उसने अंग्रेजी शराब भी बेचनी शुरू कर दी. इस काम से उसकी अच्छी कमाई होने लगी थी. इसके बाद लतीफ ने शहर के कोट इलाके में रहने वाले बदमाशों को अपनी गैंग में शामिल किया और फिर हथियार सप्लाई करने वाले शरीफ खान से हाथ मिला लिया. इस तरह लतीफ शराब के साथ-साथ हथियारों की तस्करी करने लगा था.

गुजरात पर राज
जवानी की दहलीज पार करने के साथ ही कुछ ही वर्षों में लतीफ गैंगस्टर बन चुका था, लेकिन किसी भी गैंगवार में वह खुद कभी सामने नहीं रहा. लतीफ ने बड़े ही शातिर तरीके से कई छोटे-मोटे गैंग में फूट डलवाकर उन्हें अपने गैंग में मिला लिया. इस तरह अहमदाबाद के बाद उसका दबदबा पूरे गुजरात में फैल गया. लतीफ ने गुजरात में अवैध शराब बेचने का नेटवर्क इतना मजबूत कर डाला था कि वहां कोई भी बुटलेगर यानी अवैध शराब बेचने वाला बिना उसकी मर्जी से शराब नहीं बेच सकता था.



गरीबों का मसीहा था लतीफ
शहर के मुस्लिम इलाकों में लतीफ गरीबों के लिए मसीहा माना जाने लगा था. वह बेरोजगार युवकों को अपनी गैंग में शामिल कर लेता था. इसकी वजह से उसे राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा था. 1985 में उसने जेल में बंद रहते हुए निकाय चुनाव में पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था. और वह जेल में रहते हुए भी सभी सीटों पर चुनाव जीत गया था. जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड था. उसकी इस जीत से बड़े बड़े नेताओं ने दांतों तले उंगली दबा ली थी.




लतीफ के खिलाफ दर्ज हैं करीब 80 मामले
अब्दुल लतीफ गुजरात में 40 से भी अधि‍क हत्या के मामलों में आरोपी था. जबकि अपहरण के भी लगभग इतने ही मामलों में उसका नाम शामिल है. लतीफ को 1995 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. इसके बाद उसे साबरमती जेल अहमदाबाद में रखा गया. नवंबर 1997 में अब्दुल लतीफ ने एक बार भागने की कोशि‍श की, जिस दौरान गुजरात पुलिस से एनकाउंटर में वह मारा गया.

गैंगस्टर की जिंदगी पर फिल्म और विवाद
गुजरात के गैंगस्टर रहे अब्दुल लतीफ के बेटे की याचिका पर अहमदाबाद के एक कोर्ट ने शाहरुख के प्रोडक्शन हाउस को नोटिस भेजा है. यह फिल्म लतीफ की जिंदगी पर ही आधारित है. लतीफ के बेटे मुश्ताक अहमद शेख ने अपनी याचिका में कहा कि शाहरुख खान की फिल्म उनके पिता का नाम खराब कर रही है. यही नहीं, उन्होंने इस बाबत हर्जाने की मांग करते हुए 101 करोड़ रुपये की मानहानी का दावा किया है. मुश्ताक ने फिल्म की रिलीज और प्रमोशनल मटेरियल के जारी होने पर भी रोक की मांग की है. उनका कहना है कि फिल्म के दूसरे हिस्से में लतीफ को गलत तरीके से पेश किया गया है. 'रईस' में शाहरुख खान के अलावा नवाजुद्दीन सिद्दकी और माहिरा खान प्रमुख भूमिका में है.



'हम इज्जतदार जिंदगी बसर कर रहे हैं'
मुश्ताक कहते हैं, 'मेरे पिता अब्दुल लतीफ को मरे कई साल हो चुके हैं. आज हमारा परिवार समाज में एक अच्छी और इज्जतदार जिंदगी बसर कर रहा है. ऐसे में एक बार फिर लोग मेरे पिता लतीफ की पुरानी जिंदगी के बारे में बात करने लगे हैं. इससे हमें समाज में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इतने साल बीत चुके हैं. आज मैं एक बिल्डर हूं. मेरे बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं. उन पर फिल्म बनाने की क्या जरूरत है.'



गैंगस्टर लतीफ से लेना देना नहीं
दूसरी ओर, लतीफ कि जिंदगी से जुड़ी इस फिल्म के बारे में जब मुश्ताक के जरीए फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया से बात कि गई, तो उन्होंने कहा कि 'रईस' का लतीफ की जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं है.

Thursday, January 19, 2017

असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण

असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण



सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीज़ें आपके विरोध में हो रहीं हों | चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं जहाँ सब कुछ ग़लत हो रहा होता है| अब चाहे ये कोई सॉफ्टवेर हो सकता है जिसे सभी ने रिजेक्ट कर दिया हो, या आपका कोई फ़ैसला हो सकता है जो बहुत ही भयानक साबित हुआ हो |

लेकिन सही मायने में, विफलता सफलता से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है | हमारे इतिहास में जितने भी बिजनिसमेन, साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं | जब हम बहुत सारे कम कर रहे हों तो ये ज़रूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा| लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ देंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते |

हेनरी फ़ोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फ़ोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं | सफल बनने से पहले फ़ोर्ड पाँच अन्य बिज़निस मे फेल हुए थे | कोई और होता तो पाँच बार अलग अलग बिज़निस में फेल होने और कर्ज़ मे डूबने के कारण टूट जाता| लेकिन फ़ोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज एक बिलिनेअर कंपनी के मलिक हैं |

अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सबसे पहले आता है| लाइट बल्व बनाने से पहले उसने लगभग 1000 विफल प्रयोग किए थे |

अल्बेर्ट आइनस्टाइन जो 4 साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पता था और 7 साल की उम्र तक निरक्षर था | लोग उसको दिमागी रूप से कमजोर मानते थे लेकिन अपनी थ्ओरी और सिद्धांतों के बल पर वो दुनिया का सबसे बड़ा साइंटिस्ट बना |

अब ज़रा सोचो की अगर हेनरी फ़ोर्ड पाँच बिज़नेस में फेल होने के बाद निराश होकर बैठ जाता, या एडिसन 999 असफल प्रयोग के बाद उम्मीद छोड़ देता और आईन्टाइन भी खुद को दिमागी कमजोर मान के बैठ जाता तो क्या होता?

हम बहुत सारी महान प्रतिभाओं और अविष्कारों से अंजान रह जाते |

तो मित्रों, असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है|
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Shake off Your Problems


Sunday, January 15, 2017

             Shake off Your Problems



A man’s favorite donkey falls into a deep precipice. He can’t pull it out no matter how hard he tries. He therefore decides to bury it alive.

Soil is poured onto the donkey from above. The donkey feels the load, shakes it off, and steps on it. More soil is poured.

It shakes it off and steps up. The more the load was poured, the higher it rose. By noon, the donkey was grazing in green pastures.

After much shaking off (of problems) And stepping up (learning from them), One will graze in GREEN PASTURES.

Wednesday, January 11, 2017

UPTET 2019 का नया कार्यक्रम जारी होने के आसार


इलाहाबाद : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में अहम बदलाव करने की तैयारी है। टीईटी का जिस तरह से नया खाका खींचा जा रहा है उसे पार करना बीटीसी एवं अन्य अभ्यर्थियों के लिए आसान नहीं होगा। इसमें युवाओं को मौके भले ही ज्यादा मिलेंगे, लेकिन परीक्षा का पैटर्न ऐसा होगा, जिसे आसानी से उत्तीर्ण नहीं किया जा सकेगा। प्रदेश के अफसरों का पूरा हो गया है, जल्द ही रिपोर्ट भेजी जाएगी।

प्रदेश में टीईटी 2011 से लागू है और अब तक पांच बार इसकी परीक्षा भी हो चुकी है। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई इस परीक्षा को और प्रभावी बनाने की दिशा में इन दिनों तेजी से काम कर रहा है। एनसीटीई ने देश के सभी राज्यों को कुछ बिंदु भेजे हैं और उन पर सुझाव मांगा है। इसमें एक बिंदु यह है कि टीईटी परीक्षा साल में दो बार अनिवार्य रूप से हो, परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रतिशत तय किया जाए, अभ्यर्थी हर विषय को उत्तीर्ण जरूर करें आदि। इस बिंदुओं पर शिक्षा अधिकारियों की पिछले दिनों एससीईआरटी में बैठक हुई। 

उसमें सुझाव के साथ ही विकल्प भी दिए गए। एक अफसर ने कहा कि भले ही प्रदेश की परीक्षा संस्था एक बार ही टीईटी का आयोजन करें और दूसरी बार केंद्र की सीटीईटी में प्रतिभाग करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया जाए। इससे दो बार का मानक आसानी से पूरा हो जाएगा। इसी तरह उत्तीर्ण होने का प्रतिशत तय किया जाना बेहतर है। अफसरों ने माना कि टीईटी का पैटर्न जिस तरह से बदलना प्रस्तावित है उससे परीक्षा उत्तीर्ण करना किसी भी दशा में आसान नहीं होगा। इसके लिए अभ्यर्थियों को जमकर मेहनत करनी पड़ेगी। यूपी में परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव यह परीक्षा कराती हैं इसलिए एक सप्ताह में एनसीटीई को सुझाव भी वही भेजेंगी। एनसीटीई देश भर से मिलने वाले सुझावों पर नए सिरे से विचार करेगा और 2019 से नया कार्यक्रम जारी होने के आसार हैं। 
source:-http://www.basicshiksha.org/
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Sunday, January 8, 2017

समावेशी शिक्षा एंव विशिष्ट आवश्यकता वाले बालको की शिक्षा”


"समावेशी शिक्षा  एंव विशिष्ट आवश्यकता वाले बालको की शिक्षा  







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Sunday, January 1, 2017

यूपीटीईटी-16 में अंग्रेजी भाषा के आठ प्रश्नों पर उठी आपत्ति

यूपीटीईटी-16 में अंग्रेजी भाषा के आठ प्रश्नों पर उठी आपत्ति


यूपीटीईटी-16 में अंग्रेजी भाषा के आठ प्रश्नों पर उठी आपत्ति - 19 दिसंबर को आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2016 के अंग्रेजी के आठ प्रश्नों पर आपत्ति हुई है। प्राथमिक स्तर की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को ई-मेल पर साक्ष्यों के साथ गलत प्रश्न पूछे जाने की शिकायत की है।

अभ्यर्थी अभिषेक सिंह का कहना है कि अंग्रेजी भाषा के सेक्शन में अपठित गद्य पर आधारित आठ प्रश्न पूछे गए थे लेकिन पेपर में गद्य नहीं दिया गया। उदाहरण के तौर पर प्रश्नसंख्या 62 में पूछा गया है-लेंचो की खेती कैसे खराब हुई? इस प्रश्न का उत्तर बगैर गद्यांश पढ़े देना संभव नहीं।
इसी प्रकार शेक्सपीयर के नाटक से जुड़े छह प्रश्न पूछे गए थे लेकिन इसमें भी गद्यांश नहीं था। ऐसे में अभ्यर्थियों के लिए तय करना मुश्किल हो गया कि शेक्सपीयर के 37 नाटक और 35,895 डॉयलॉग में से कहां से ये प्रश्न पूछे गए हैं। इसी प्रकार एक अन्य प्रश्न भी पूछा गया।

19 को परीक्षा देने के बाद अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि उत्तरकुंजी के साथ संशोधन भी जारी हो जाएगा। लेकिन 28 दिसंबर को उत्तरकुंजी में भी अंग्रेजी के प्रश्नों को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया। इसके बाद अभ्यर्थियों ने साक्ष्यों के साथ परीक्षा नियामक प्राधिकारी को आपत्ति भेजी है।

क्या है गाइडलाइन


टीईटी की गाइडलाइन के अनुसार पेपर में 15 नंबर के दो अनदेखे गद्य अनुच्छेद (तर्कमूलक अथवा साहित्यिक अथवा वर्णनात्मक अथवा वैज्ञानिक) जिनमें बोधगम्यता, निष्कर्ष, व्याकरण और मौखिक योग्यता से संबंधित प्रश्न होंगे।



इनका कहना है


टीईटी की आंसर-की जारी कर दो जनवरी तक आपत्ति मांगी गई है। दो जनवरी के बाद विषयवार विशेषज्ञों की समिति गठित कर आपत्तियों की जांच कराएंगे। विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर कोई निर्णय लिया जाएगा।


सुत्ता सिंह, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी

source:http://www.basicshiksha.org/